विश्व की एकमेव जाति
- kewal sethi
- Jan 25
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वस्तुतः मानवजाति ही विश्व की एकमेव जाति है
वस्तुतः विचार करने पर प्रतीत होता है कि इस विश्व में एक ही जाति है और वह है मानवजाति। एक ही प्रकार के मानवी रक्त के प्रवाहित होने के कारण यह विश्व में आज तक जीवित है। इसके अतिरिक्त दूसरा कोई भी कथन केवल कामचलाऊ और सापेक्षतः सत्य ही कहलाएगा। जाति- जातियों के बीच जो कृत्रिम दीवारें आप लोग खड़ी कर देते हैं, उन्हें गिराकर नष्ट करने का प्रयास प्रकृति अविरत रूप से करती रहती है। विभिन्न लोगों में परस्पर रक्त-संबंध न होने देने हेतु प्रयास करना रेत की नींव पर कोई इमारत खड़ी करने जैसा ही है। स्त्री-पुरुषों का परस्पर आकर्षण किसी भी धर्माचार्य की आज्ञा से प्रबलतर सिद्ध हो चुका है। अंदमान के वनवासी लोगों के रक्त में तथाकथित आर्य रक्त के बिंदु मिले हुए हैं (अर्थात् यही बात आर्यों के बारे में भी कही जा सकती है। उनके रक्त में अंदमान के आदिवासियों का रक्त है)। अतः यही सच है कि प्रत्येक के रक्त में वही पुरानी जाति का रक्त ही प्रवाहित हो रहा है। यह बात कोई भी कह सकता है अथवा इतिहास का अध्ययन करने पर उसे ऐसा कहने का अधिकार प्राप्त होगा। उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव तक के मानवों में जो एकता मूलरूप से विद्यमान है, वही एकमात्र सत्य है- अन्य सभी सापेक्षतः समझने की बातें हैं।
——( वीर सावरकर — हिन्दुत्तव क्या है — प्रभात प्रकाशण — 2021 — पृष्ठ 106.107)
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