विश्व अब एक ग्राम है
हमारे एक दोस्त जब आये मिलने आज
लगता था कि वह बहुत ही थे नाराज़
हाथ में लहरा रहे थे वह कोई अखबार
बोले देखे तुम ने आज राहुल के विचार
अमरीका में जा कर खोलता सारा भेद
जिस थाली में खाये, उसी में करे छेद
कभी डैमोक्रेसी हत्या है उस की बोली
कभी रियर मिरर में देखने का ठिठोली
उस के मुताबिक भारत में है भ्रष्टाचार
यह सब क्या है, कुछ समझाओं यार
हम ने उसे जवाब में एक कहानी सुनाई
एक शख्स कर रहा था एफ ए की पढ़ाई
परीक्षा में बाईनोमियल का प्रूुफ था पूछा
उस का हल उसे वहॉं पर नहीं कुछ सूझा
जब फिर परीक्षा आई उस की अगले साल
अब दौबारा थोड़े ही आयें गे पुराने सवाल
यह सोच पहुॅंच गये देने को वह इम्तिहान
बाईनोमियल थ्योरम पर दिया नहीं कुछ ध्यान
बदकिस्मती उस की या परीक्षक का अज्ञान
वही थ्योरम का फिर मॉंगने लगे वह प्रमाण
देख कर उसे यह सब गुस्सा बहुत था आया
जम कर थ्योरम के प्रूफ का रट्टा था लगाया
इस साल भी उस की किस्मत दे गई दगा
अब की पर्चे में नहीं थी उस की कोई चर्चा
चक्र में आ तो गया पर छोड़ा नहीं अभियान
पहले तो बाईनोमियल थ्योरम गुन लो श्रीमान
वही हाल हमारे श्रीमान का है समझ गये क्या
कितनी बार तो उस ने इस बारे में था बोला
सारे मोदी के दोष याद थे उस को मुॅंह ज़बानी
कैसे गढ़ता वह अमरीका में कोई नई कहानी
जो याद था, वही तो उस ने वहॉं दौहरा दिया
इस में कोई गल्ती उस की नहीं मेरे साथिया
और फिर यह भी याद रखने की है बात
सारा विश्व अब तो बन गया है एक ग्राम
गौव की चौपाल हैं लैक्चर के सब हाल
कहीं कुछ भी कहो, फैल जाती है बात
अब झारखण्ड में हो कोकराझार का स्टेज
या सैनफोर्ड का आडिटोरयिम, सब हैं एक
कहीं भी कुछ कहो, बात सुनी जाये गी ही
फिर अमरीका कौन मूर्खों का देश है भाई
जानते हैं वह कि यही है उस की महारत
सामने हम हैं, मन में बसा इस के भारत
उन्हीं का सोच कर वह यह सब बतियाता है
हम को नहीं, उन्हीें को यह सब सुनाता है।
अब वह कोंकण में बोले या न्यू यार्क्र में
गॉंधी मैदान में या लन्दन के हाईड पार्क में
मीडिया को भी तो चाहिये कुछ मसाला
उसी से तो टी आर पी बढ़े गा हमारा
वह दो कहे यह कर देते हैं उस को चार
चलता रहे टी वी, चलता रहे अखबार
सुन लो उसे जो भी देता है वह ब्यान
पसंद नहीं आये तो खोलो दूसरा कान
एक से सुनो, दूसरे से दो उसे निकाल
कहें कक्कू कवि, यही है इस का इलाज
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