युग्ल बन्दी
मैं कक्षा में पढ़ा रहा था। थर्ड्र यीअर के छात्र, परीखा सर पर। सभी विद्यार्थी गम्भीरता से बैठे थे। देखा कि जो लड़की सब से पहले बैंच पर बिल्कुल निारे पर बैठी थी, मेरे लैक्चर पर ध्यान नहीं दे रही है। बिल्कुल अनमनी से बैठी है।
कलास खतम होने के बाद सब छात्र जने लग। उन का अगला पीरियड दूसरे कमरे में था। मैं ने इस लड़की को रोक लिया। पूछा - उदास क्यों हो।
बिल्कुल नहीं, उस ने जवाब दिया।
मैं ने कहा — देखो, मेरा अनुभव कहता है कि तुम उदास हो। हो सकता है, मैं कुछ मदद कर सकूॅं।
तब उस ने बताया कि उस का मंगेतर उस पर संगीत सीखने के लिये दबाव डाल रहा है।
- और तुम्हें संगीत बिल्कुल पसंद नहीं है।
- पर मैं न भी करूॅं तो कैसे।
- समस्या गम्भीर है। पर हो सकता है, उसे समझाया जा सकें।
- कैसे
- मैं उस से मिलना चाहूॅं गा। शनिवार को क्लास के बाद, काफी हाउस में।
- मैं कोशिश करती हूॅं, वह आ सके तो।
- बताना मत कि मुझे मिलवाना है। मैं तो अचानक आ जाऊॅं गा।
तो अगले सप्ताह हम मिले। कोई ऐसी बात नहीं जो लिखी जाये। बस एक बात कि अगले शनिवार हम मिल सकते हैं। नेहरू प्लानेटोरियम के पास। तीन बजे का शो देखें गे।
हम तीनों ने वह शो देखा और अपने अपने रास्ते चल दिये।
दो एक दिन बाद लड़के से मुलाकात हुई। (आप ठीक समझे - अचानक नहीं, खास तोैर पर मेरी तरफ से)।
- कैसा लगा उस दिन सितारों का षों।
- समझ में तो कुछ नहीं आया पर अच्छा था।
- अब मेरी समझ में नहीं आया। समझ में नहीं आया पर अच्छा था\
- रास्ते भर वह चहकती रही। आम तौर पर गुम सुम रहती है। पर उस दिन खूब बात की।
- सब सितारों के बारे में?
- और गृहों के बारे मे।
- तो अब क्या इरादा है। फिर सुनने की इच्छा है क्या। फिर दौबारा चलें पलैनेटोरियम में। नया शो है।
- मैं ने सोचा है कि अगले महीने उस के जन्म दिन पर उसे टैलीस्कोप गिफ्ट दूं। कौन सा ठीक रहे गा।
- फोन नम्बर दे दो। मैं सोच कर बताता हूa। (अपना ज्ञान इस विषय में शून्य था) पर उस से क्या हो गा।
- युग्ल बन्दी।
- युग्ल बन्दी\ वह कैसे\
- वह सितारों की बात करे गी] मैं सितार की। वह वीनस की बात करें गी] मैं वीणा की। वह मंगल गृह के धरातल की बात करें गी] मैं मंगलाचार के रागों की। आदान प्रदान तो हो गा।
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