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kewal sethi

यूँ होता तो क्या होता

यदि .........

गालिब का एक शेर है

हुई मुद्दत कि मर गया गालिब मगर वह याद आता है

उसका हर बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता


क्या आप ने भी कभी सोचा है कि यूँ होता तो क्या हाता। उदाहरण के तौर पर मान लें कि महात्मा बुद्ध के ज़माने में आजकल का अधिकारी उन के साथ उस समय नियुक्त होता जब वह सिद्धार्थ थे, तो क्या होता। आप को याद होगा कि एक ज्योतिषी की भविष्यवाणी के बाद उन को महल में ही रखा गया था। शादी भी हो गई, बेटा भी हो गया, पर दुनिया नहीं देखी। फिर पता नहीं एक दिन वह कैसे नगर सम्पर्क अभियान पर निकल पड़े।

सब से पहले एक बुड्ढा मिला। कमर झुकी हुई, कमज़ोर, लाचार।

सिद्धार्थ ने पूछा यह कौन?

उत्तर मिला वृद्ध।

क्या मैं भी ऐसा हो जाऊँ गा, सिद्धार्थ ने जिज्ञासा की।

अधिकारी ने कहा ''क्या बात करते हैं। आप तो राजा हैं। आप ऐसे कैसे हो सकते हैं। यह तो नगरवासियों के लिये विशेष है''।

फिर एक बीमार आदमी मिला। वहाँ भी ऐसी ही बात।

फिर एक शव यात्रा दिखाई दी। पूछा यह कौन?

उत्तर मिला यह व्यक्ति मर गया है। इसे जलाने के लिये ले जा रहे हैंं।

सिद्धार्थ ने कहा क्या मैं भी मर जाऊँ गा।

अधिकारी ने कहा ''श्रीमान जी, मरें आप के दुश्मन। आप तो अमर हैं। आप ने पुण्य ही पुण्य कमाया है। सभी समाचारपत्र देख लीजिये। आप की प्रशंसा ही हो रही है। कोई भी आप के सामने टिक नहीं सकता। मृत्यु की तो बात ही क्या है। कम पुण्य वाले मिथिला (वर्तमान में बिहार) नरेश कुछ भी न करके अमर हैं। फिर आप कैसे मर सकते हैं''।

सिद्धार्थ संतुष्ट हो कर महल में वापस लौट आये।

दूसरे दिन समाचारपत्रों में छपा कि उन का नगर सम्पर्क अभियान सफल रहा। ऊपर खबर भिजवाई गई कि सब ठीक ठाक है। चिन्ता की कोई बात नहीं। आगे भी सफलता निशिचत है।

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