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तकनालोजी और सुखमय जीवन

kewal sethi

तकनालोजी और सुखमय जीवन

आज का विषय था।  तकनालोजी के माध्यम से सुखी जीवन कैसे प्राप्त किया जा सकता है?

श्री राजीव सचदेव ने इसमें प्रसन्नता तथा सुखी जीवन के बीच में अंतर को स्पष्ट किया। प्रसन्नता मन का गुण है। कोई व्यक्ति बिना किसी सुविधा के भी प्रसन्न रह सकता है।जबकि सुखी जीवन के लिये उसे इन सारी चीजों की आवश्यकता होती है जो उस के रहन सहन के लिये आववश्यक है।

तकनालोजी की सहायता से वे कई  बातें सरलतापूर्वक हो सकती हैं जिन के रौज़त्रमरा्र के जीवन में आवश्यकता पड़ती है। पर इस के लिये अपनी जीवन शेली में परिवर्तन आने की आवश्यकता है। परन्तु यह बात सही है कीव्यक्ति किसी भी परिवर्तन को सहेज स्वीकार नहीं करता है। मैं इसे कमफर्ट ज़ोन में तबदीली की बात कहता हॅं लेनी की सुविधा कहता हूँ। ये सत्य है कि ज कभी गिव की परिवर्तन की बात आती है, विशेषकर मानसिक परिवर्तन की, तो पुरानी आचार व्यवहार की याद आ जाती है।

परन्तु आज के माहौल में परिवर्तन आवश्ंभावी है। परिवर्तन कब स्वीकार किया जाता है, इस के चार कारण हैं। 

1. इस से सीधे सीधे लाभ पहॅंचता है। कानून द्वारा

2. आस पास के लोगों ने परिवर्तन को स्वीकार कर लिया है।

3 कानून द्वारा परिवर्तन स्वीकार करना पड़ता हें।

4. परिवर्तन ना करने से।जो असुविधा होगी।उससे वे बचना चाहता है।

 

प्रश्न यह है कि क्या टेक्नोलॉजी इसमें सहायता कर सकती है। कई ऐसी कार्य हैं जो दुष्कर होते हैं, तकनालोजी के माध्यम से सुगम हो सकते हैं। और इस कारण उत्तरोतर जीवन के स्तर में बेहतरी होती है।

 

कृत्रिम बुद्धि से यातायात पर कैसे नियंत्रण किया जा सकता है, इसके बारे में भी बात की गई।आम तौर पर देखा गया है कि ट्रैफिक सिग्नल, जो सड़क के चौक पर लगाए जाते हैं वह एक निश्चित समय के लिये होते हैं जब कि इनको यातायात की सघनता  के हिसाब से  होना चाहिए। यदि कृत्रिम बुद्धि का इस्तेमाल किया जाता है तो सैटेलाइट की मदद से सड़क पर चलने वाले वाहनों के बारे में जानकारी ली जा सकती है तथा प्रोग्राम के मुताबिक उसी अनुसार ट्रैफिक लाइट का प्रबंध किया जा सकता है। इससे आम तौर पर लोगों को सुविधा होगी की कितनी देर रुके आए। रात के समय भ्ी अपने आप नियन्त्रण हो सके गा।

 

यातायात की बात करते हुये उन्हों ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि दिल्ली में तथा अन्य महानगरों में यातायात व्यवस्था काफी कठिन होती जा रही है।रास्ते छोटे है और कारों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस कारण लोग इसके लिए भी मजबूर है कि कार को सड़क के किनारे पार्क किया जाए। इस सें रास्ते की उपयोगिता और कम हो जाती है। उनका कहना था कि इसके लिए कार पार्किंग की व्यवस्था करना आवश्यक है।आजकल के युग में भूमि पा सकना दुष्कर कार्य है परंतु उनका सुझाव था कि शहर में जो पार्क हैं। उनके नीचे पार्किंग की जगह बनाई जा सकती है। यहाँ कार पार्क करने की सुविधा शुल्क सहित होगी, जिससे कि पार्किंग  की जगह का खर्च भी प्राप्त हो जाये गा। पार्क को यथावत बनाए रखने का खर्च भी पूरा हो सकेगा। ऊपर पार्क की स्थिति वैसी ही रहे गी जैसे की पूर्व में थी। 

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