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टक्कर

  • kewal sethi
  • Apr 2, 2024
  • 4 min read

टक्कर $$


ये बात है पिछले दिन की।

एक भाई साहब आये। उस ने दुकान के सामने अपने स्कूटर को रोंका। उस से नीचे उतरे और डिक्की खोल के कुछ निकालने वाले ही थे कि एक बड़ी सी काली कार आ कर उन के पैर से कुछ एकाध फुट दूर आ कर रुक गई। (इस कहानी का कार के रंग से कोई सम्बन्ध नहीं है। बस ऐसे ही कह दिया ताकि आप के मन में शंका न बनी रहे कि कार का रंग क्या था। मैं ने अक्सर देखा है कि कहानीकार अपनी कहानी में स्त्री पात्र आये तो यह अवश्य बताता है कि उस ने किस रंग की साड़ी, या कमीज़ या शलवार या कुछ और पहन रखा था। पुरुष आये तो उस के बालों के बारे में बताता है चाहे इस का कहानी से सम्बन्ध हो या न हो। खैर कहानी लम्बी तो हो जाती है। लम्बाई के हिसाब से मज़दूरी मिलती है पर मेरी मंशा कहानी बेचने की नहीं है। दर असल यह कहानी है ही नही। मैं तो केवल जो देखा वह बता रहा हूॅं। )।

एक तो गली तंग थी, दूसरे दूसरी तरफ एक स्कूटर खड़ा था। इसलिए ड्राइवर ने थोड़ा सा अपनी कार को स्कूटर बचाते हुय निकलने की कोशिश की। और कार भाई साहब के सामने आ गई। की। ड्राईवर ने तुरंत ब्रेक मारी और कार स्कूटर से आठ दस इंच दूर रुक गई।

बस फिर क्या थी, भाई साहब तो बिफर उठे।

- अंधे हो क्या? गाड़ी ऐसे चला रहे हैं, गाड़ी चलाना आता नहीं है तो चलाते क्यों हो? ऐसे सब लोगों को मारते जाओ गे।ं ऐसे क्या होगा, ये कैसे चलेगा? जेल में जाना है क्या। तुम तो बिलकुल अनाड़ी लगते हो।

ड्राइ्रवर तो कुछ बोल नहीं पा रहा था। गलती तो थी और उस ने कुछ कहना भी मुनासिब नहीं समझा। सोचा इनका गुस्सा अभी ठीक हो जाएगा।

पर जो महिला कार में थी, (उस की साड़ी का रंग नहीं बताऊॅं गा) बोलीं

- भाई साहब, गाड़ी रुक तो गई न। आप को लगी तो नहीं न।

- रुक गई? रुकती नहीं तो क्या होता। ड्राइवर कैसे रख लिया ऐसे आदमी को। जिसे गाड़ी चलानी नहीं आती। सब रिश्वत दे कर ड्राइवर बन रहे हैं आजकल। रिश्वत से ही सब हो रहा है। कोई आदमी किसी को देखता है नहीं, किसी की लियाकत तो है ही नहीं। ईमानदारी तो है ही नहीं। आप तो मालिक हैं। अब ये आप का ड्राईवर जिस को मर्जी चाहे मार ले।

- अरे भाई साहब उस ने ब्रेक भी लगाई, आपको कुछ हुआ नहीं

- हाँ, मुझे कुछ हुआ नहीं। हो जाता तो क्या होता। टॉंग टूट जाती। चोट लग जती। पर आप को क्या। आप तो आराम से कार में बैठी रहती।ं

- गाड़ी है। थोड़ी बहुत गलती हो ही जाती है। अब आप देख रहे गली कितनी छोटी है। लोग अपना स्कूटर भी कहीं रख कर चल देते हैं तो रास्ता और संकरा हो जाता है। कुछ गाड़़ी इधर उधर करना पड़ती है।

- हाँ, हाँ, तो सभी स्कूटर वाले तो कसूरवार है। अब यह सब आप की कार को रोकने के लिए ही तो आते हें इस गली में। इसलिए कि आपकी कार के सामने स्कूटर रखें ताकि आप अपनी कार को चला नहीं पाए? आप का मतलब सारी गली आप की होनी चाहिए ताकि आपके ड्राईवर कार को तेजी से चलाते हुए आप को पहुॅंचा दें।

एक व्यक्ति जो पास में खड़ा था, वह बोल उठा।

- अरे भाई साहब, कुछ गल्ती गई, आप को कुछ हुआ नहीं। अब जाने दीजिये।

- जाने दीजिये। क्यों? अभी तो गाड़ी आगे बढ़ जाती तो मेरे को तो पैर से हाथ धोना पड़ता। खून बहता, वह अलग। हस्पताल जाना पडता। टॉंग काटने की नौबत भी आ जाती।। आपको क्या है? आप तो काफी पीते रहते कहीं पर आराम से बैठे हुए।

- मुझे काफी बिल्कुल पसन्द नहीं।

- आप को क्यों हो गी। काफी के दौर तो हस्पताल में चलते रहते है। मरीज़ मरे या जिये, उन्हें तो अपनी काफी से मतलब है। और हॉस्पिटल में तो जानते ही हैं आप। सब के सब डाक्टर नालायक हैं। धोखे से बने हुए डॉक्टर है सब। सिफारशी हैं। या पैसा दे कर बने हैं और पैसा ही कमाना जानते है। बीमारी का खाक पता नहीं। बेईमानी से आये हैं। उनको आता जाता है तो कुछ है नहीं। जितने अच्छे डॉक्टर हैं सब इंग्लैंड अमेरिका चले गए। नर्सें भी चली जाती है। यहाँ पर ना बीमारी देखते हैं, न ठीक से टीका लगाते हैं।

- अभी तो सब ठीक है। हस्पताल क सवाल नहीं। घर पर रहिये आराम से।

- इन का बस चलता तो घर थोड़ा ही रहने देते। हस्पताल में ही घर होता। अब अस्पताल में जाऊंगा तो फिर तो ज़िन्दगी इतनी है, हर जगह तो भीड़ ही भीड़ ही है। इतने बीमार लोग आते हैं, इतने बीमार लोग आते हैं जैसे सारा हिंदुस्तान बीमार हो गया है। और फिर एक दूसरे को बिमारी नहीं फैलाएंगे तो क्या करेंगे? हो सकता है मुझे भी वह बीमारी लग जाती। मैं भी मौत का शिकार हो जाता। बताइए मुझे भी कि परिवार का क्या होता। कैसे करते वह गुज़ारा। एक मैंं ही तो हूॅं कमाने वाला।

- शुक्र कीजिये परिवार को कुछ नहीं हुआ।

- परिवार को कुछ नहीं हुआ अब। यह आप कह रहे हैं। ऐसी वैसी बात नहीं है। बड़ी बात है मेरे लिये, बड़ी बात है मेरी बीवी बच्चों के लिये। मैं मरता तो वह सब भी तड़प तड़प कर मरते। मेरी बीवी बच्चे कैसे गुज़ारा करते, ये सब सोचने की बात है, आपको सोचने की बात तो नहीं, आप तो रास्ते चलते आदमी है।

इधर भाई साहब उस रस्ते चलते आदमी से उलझ रहे थे। उधर ड्राईवर ने गाड़ी थोड़ी पीछे करके साइड से निकाल ली और चल दी। गाड़ी आगे निकल गयी। आस पास वाले भी चल दिये। भाई साहब ही रह गया पीछे से कोंस्तें हुये।

— चल दिये मार कर जेसे कुछ हुआ ही नहीं। अब आगे जा कर किसी को मारें गे। उन को इस के बगैर चैन ही नहीं पड़ गा।

किसी ने कुछ नहीं कहा। सब अपने में व्यस्त थे।

भाई साहब ने डिक्की में से थैला निकाला और दुकान में घुस गये।

$$ जो हुई नहीं


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