चाय - एक कप
- kewal sethi
- May 28, 2024
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चाय - एक कप
महफिल जम चुकी थी पर दिलेरी नदारद था। ऐसा होता नहीं था। वह तो बिल्कुल टाईम का ध्यान रखता था। लंच टाईम आरम्भ होने के सात मिनट पहले वह घर से लाई रोटी खा लेता था और समय होते ही महफिल की ओर चल पाता था। कभी रास्ते में कूलर का पानी पीने रुक जाये तो अलग बात है पर वह जल्दी आने वालों में था। पर आज नहीं था। कुछ खास बात हो गीं।
एक ने दूसरे से पूछा - आज दिलेरी छुट्टी पर है क्या।
- नहीं, सुबह समय पर आ गया था।
- कई दिनों से समय पर आ रहा है बल्कि समय से पहले।
- क्यों, ऐसा क्या हो गया।
- पता नहीं तुम को। एक नई टाईपिस्ट आई है उस के सैक्शन में।
- तो ऐसा कहो न। देखने में कैसी है।
- तुम्हें क्या फरक पड़ता है। दस साल हो गये तुम्हारी शादी को।
- दस नहीं, बारह पर उस से क्या फरक पड़ता है।
- सही बात है। देखने की चीज़ है, बार बार देखो।
- सुबह देखो, शाम को देखों।
- आते देखो, जाते देखो।
- बस बस, अब रहने दो। बीवी को पता चल गया तो?
- दफतर में बीवी से कौन डरता है। यहॉं तो हम मालिक हैं।
- हॉं, घर की बात और है। भीगी बिल्ली।
तभी दिलेरी आ गया। सब उस के गिर्द हो गये।
- क्या हुआ, कैसी है। क्या बात हुई।
दिलेरी गुस्से में था। बोला
- तुम्हें तो हर वक्त मज़ाक ही सूझता है।
- क्यों, कितना नुकसान हुआ।
- ज़माने का चलन ही बदल गया है। कोई फरक ही नहीं रह गया।
- पर हुआ क्या?
- न बिन्दी, न और कोई पहचान।
- हम सीधे सादे लोग हैं, बुझारते मत भुजवाओ। यह बताओ हुआ क्या। चाय के साथ और क्या मंगवाया। आईस क्रीम?
- कुछ नहीं।
- फिर इतने परेशान क्यों हो।
- कुछ तो अलग बात है - एक अन्य ने कहा।
- सॉंस लेने दो। अभी खुद ही बताता है।
- हुआ यह कि हम बैठे थे कि एक और सज्जन आ गये। कृषि भवन में काम करते हैं।
- कबाब में हड्डी?
- पति था उस का। अब बताओ, आप को लगता था ऐसा क्या। तुम ने भी तो देखा है।
- यानि हड्डी नहीं, सॉंप। डरना तो लाज़िमी था।
- और तुम्हारा क्या इरादा था।
- मतलब?
- कुछ नहीं, कुछ नहीं। अपनी बात जारी रखो।
- इस से पहले कि वे कुछ कहें कि क्या खाना है, मैं ने चाय का आर्डर दे दिया।
- यह तो हम जानते हैं कि तुम तुरन्त समस्या का हल डूॅंढ लेते हो। यही तो तुम्हारी काबलियत है।
- अफसर भी तो इसी से खुश रहते हैं।
- चलो, एक चाय पर ही छूट गये।
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