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kewal sethi

चट मंगनी, पट ब्याह

चट मंगनी, पट ब्याह


मेरे मित्र ने कहा कि मुझे उस के साथ चलना है। वह एक लड़की देखने जा रहा है। मैं जानता था कि उस के माता पिता उस के लिये रिश्ता देख रहे हैं मगर मुझे उस ने क्यों चुना, मालूम नहीं। खैर, मुझे क्या एतराज़ हो सकता था। आखिर वह एक मुद्दत से मेरा दोस्त था और उस की पसंद नापसंद का मुझे ज्ञान था। गल्त हो गा यदि मैं कहूॅं कि मैं इस से खुश नहीं था।

तो हम लड़की देखने गये। उस का मकान उस इलाके में था जहॉं केवल अमीर सम्भ्रान्त लोग रहते हैं। उन में अधिकतर तो सेवा निवृत आई ए एस अधिकारी तथा आई पी एस अधिकारी थे। आलशान बंगला। बंगले में ड्रॉूंईग रूम की सजावट, सभी भव्य थे। और लड़की भी सुन्दर थी और सुयाील भी लगी। बस एक बात मुझे थोड़ी अजीब लगी। लड़की के मॉं बाप चाहते थे कि शादी एक महीने के भीतर हो जाये। हमारे यहॉं शादी विवाह कोई सामान्य घटना नहीं है। यह तो परिवार के लिये एक ऐसा मौका होता है जब विस्तृत परिवार, दोस्त यार, सगे सम्बन्धी सभी मौके पर मौजूद रहते हैं। उन की तैयारी करने के लिये समय चाहिये। आजकल होटल अथवा गैस्ट हाउस इतनी आसानी से थोड़ेे मिलते हैं। महीनों पहले बुक्रिग हो जाती है। पर लड़की के मॉं बाप का कहना था कि वह चट मंगनी पट विवाह में विष्वास करते हैे। सादा सी रस्म। कोर्ट में जाओ, रजिस्टर पर दस्खत करों और बन गये मियॉं बीवी। और वह तो तुरन्त सगन देने के लिये भी तैयार थे। बस सिर हिलाना था हॉं हूं की मुद्रा में। शायद मेरा मित्र सिर झुका भी देता पर मुझे वह थोड़ी जल्दबाज़ी लगी। अब क्या बहाना बनाया, यह तो महत्वपूर्ण नहीं है, पर मैं अपने दोस्त को ले कर बेरंग वापस तो आ गया।

यह तो नहीं कहूॅं गा कि मेरा मित्र इस पर मुझ से नाराज़ हो गया। पर थोड़ा मायूस सा लगा। डर था कि कहीं एक अच्छा रिश्ता हाथ से न चला जाये क्योंकि लड़की के बाप ने बताया कि उन्हों ने जो इश्तहार विवाह के बारे में निकाला था उस में कई ऐसे प्रस्ताव हैं जो अच्छे घरों से आये हैं और उन्हें तो फैसला करने की जल्दी हैं ही।

मित्र का दिल बहलाने के लिये हम वही पास के एक रैस्टारान में चले गये। एक एक पैग का आर्डर दिया। उस होटल का मालिक भी लगभग मेरी उम्र का था। वह भी उसी मेज़ पर बैठ गया। चलिये, दो से तीन भले, कुछ बात तो चले ताकि भार हल्का हो। अचानक उस नौजवान ने कहा - लड़की देख आये। थोड़ी हैरानी हुई उस की बात पर। मैं ने ध्यान दिया कि जिस बंगले में हम गये थे, वह उस होटल से सामने ही दिखता था। वहॉं गये थे, इस से इंकार नहीं कर सकते थे। पर और क्या कहते। अपनी बात किसी के समाने खोलने से क्या हासिल। पर उसी ने फिर कहा - तीन रोेज़ पहले भी कुछ लोग आये थे। शायद उन से बात नहीं बनी।

हैरानी तब हुई जब मेरे मित्र, जिस के मन में डर पैदा हो चुका था, बोल उठा - क्यों, लड़की तो मेहता जी की सुन्दर है, सुशील है।

- वह तो है ही। मेहता जी की लड़की तो सुन्दर है ही पर वह अमरीका में है, पी एच डी करने के लिये।

- तो वह कौन थी जिस से हम मिल कर आ रहे हैं।

- नाम तो नहीं मालूूम पर आप क्या मेहता जी से मिल कर आ रहे हैं।

- हॉं और क्या। क्या वह भी अमरीका में हैं।

- नहीं, वह तो स्टिज़रलैण्ड में हैं। दो महीने के लिये गये हैं गर्मी बिताने के लिये।

- तो यह कौन हैं?

- मेहता जी के मित्र ही हों गे। मेहता जी गये तो इन्हों ने दो महीने के लिये यहॉं रहने की इजाज़त ले ली।

- पर आप कैसे यह सब जानते हैं (हमारा सवाल तो वाजिब था)

- मैं इस इलाके में सभी को जानता हूॅं। यॅूं समझिये कि मेरी पैदाईग ही यहीं हुई है। जब मैं नौ या दस साल का था तो मेरे पिता ने यहॉं चाय और पकौड़े बनाने की दुकान खोली थी। तब से हम यहीं हैं और धीरे धीरे होटल इस हालत में आ गया जो अभी आप देख रहे हैं। पास पड़ोस के सभी लोगों को हम जानते हैं और वह हमें जानते हैं।

- और मेहता जी की बेटी भी?

- बिल्कुल। बहुत सुशील लड़की है। और बहुत लायक। आते जाते नमस्ते करना तो भूलती ही नहीं। बातें भी खूब करती है।

- और यह सज्जन जो मेहता जी के घर में हैं।

- उन से तो अभी पहचान नहीं हो पाई। पर अगर मेरी नज़र धोका नहीं देती तो कहीं मामूली से अधिकारी है। हो सकता है, मेहता जी के क्लासफैलो रहे हों। पर वह क्लास नहीं है जो इस कालोनी के निवासियों में है।

तो खैर, हम अपना ग्लास खाली कर के चले। उस भले आदमी ने बात तो की पर साथ ही हमें दाम में रियायत भी दे दी।

- तो इस लिये जल्दी थी शादी की। मेहता जी के लौटने से पहले सब हो जाये तो अच्छा। कोर्ट मैरिज। मेरा तो माथा तभी ठंका था। बता रहे थे, एक ही लड़की है। ऐसे में तो हर व्यक्ति चाहता है कि शादी धूम धाम से हो।

- पर यार, लड़की तो सुन्दर थी।

- पर तुम्हारे लायक नहीं थी।

- चलो जी, अच्छा है। चाय मिठाई तो हो ही गई।

- जग हंसाई नहीं हुई, यह गनीमत है।

- एक और इश्तहार का भी मैं ने जबाब दिया है।

- बस भाई, एक बार ही काफी है। किसी और को पकड़ना। और ध्यान रखना। चट मंगनी, पट ब्याह नहीं।

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