एशिया प्लैटो
- kewal sethi
- Aug 17, 2020
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एशिया प्लैटो
नाम तो सुना था बहुत पर देख न पाये थे
चर्चा होती थी बहुत, पर समझ न पाये थे
एक नया तरीका था, इक नई बात थी वहाॅं
जो भी जाता था, गुण गाता हुआ आता था सदा
कभी तो इन्नर गर्वनैस को बारे में जाता था बतलाया
कभी बैलंस शीट जीवन की को जाता था सराहया
अपने अपने अनुभव बाॅंटने आते थे लोग अनेक
पारंगत थे जो अपने क्षेत्र में एक से बढ़ कर एक
बीच बीच में कई प्रकार की फिल्में दिखलाई जाती हैं
इस तरह हसते हसते हर बात समझाई जाती है।
खेल खेल में सिद्धाॅंत प्रबन्धन के बतलाना
कभी सब का मिल कर किसी थीम पर गाना
समझाने को श्रम का महत्व की ऐसे तैयारी
कभी लंगर की सेवा कभी बर्तन धोने की बारी
समय पर पहुॅंचने की तरकीब यह थी बनाई
लेट आने वालों के स्वागत हेतु ताली पिटवाई
सब सुन सुन कर अपना भी करता था मन
देखें स्वयं जा कर कैसा है यहाॅं का जीवन
सो आये और फिर बिताये पूरे पाॅंच दिन यहाॅं
जैसा सुना था वैसा ही पाया सब कुछ यहाॅं
यादें यहाॅं की जीवन संवारने के आयें गी काम
प्रयास हो गा पहुॅंचाये सब ओर यहाॅं का पैगाम
कहें कक्कू कवि एक ही सन्देश श्हॉं का महान
अपने जीवन को लगाओ करने सब का उत्थान
पंचगनी 2 मार्च 2017
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